हरियाणा का इतिहास
हरियाणा के रूप में जाना जाने वाला क्षेत्र (उत्तर वैदिक युग, लगभग 800-500 ई.पू. का मध्यमा देश, यानी मध्य क्षेत्र)- हिन्दू धर्म का जन्मस्थल माना जाता है। यह उस क्षेत्र में है, जहां आर्यों का पहला स्तोत्र गाया गया था और सर्वाधिक प्राचीन पांडुलिपियां लिखी गई थीं। हरियाणा का प्राचीन इतिहास बहुत गौरवपूर्ण है। यह वैदिक काल से प्रारंभ होता है। यह राज्य पौराणिक भरत वंश की जन्मभूमि माना जाता है, जिसके नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। महाकाव्य महाभारत में हरियाणा का ज़िक्र हुआ है। कौरवों और पांडवों की युद्धभूमि कुरुक्षेत्र हरियाणा में है। मुस्लिमों के आगमन और दिल्ली के भारत की राजधानी बनने से पहले तक भारत के इतिहास में हरियाणा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। बाद में हरियाणा दिल्ली का ही एक भाग बन गया और 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम तक यह अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं रहा। सन् 1857 का विद्रोह दबाने के बाद, ब्रिटिश शासन के पुन: स्थापित होने पर अंग्रेज़ों ने झज्झर और बहादुरगढ़ के नवाब, बल्लभगढ़ के राजा और रिवाड़ी के राव तुलाराम के क्षेत्र या तो ब्रिटिश शासन में मिला लिए या अंग्रेज़ों ने पटियाला, नाभ और जींद के शासकों को सौंप दिये और इस प्रकार हरियाणा पंजाब प्रांत का भाग बन गया। 1 नवंबर, 1966 को पंजाब प्रांत के पुनर्गठन के पश्चात् हरियाणा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।
पश्चिमोत्तर और मध्य एशियाई क्षेत्रों से हुई घुसपैठों के रास्तें में पड़ने वाले हरियाणा को सिकंदर महान (326 ई.पू.) के समय से अनेक सेनाओं के हमलों का सामना करना पड़ा है। यह भारतीय इतिहास की अनेक निर्णायक लड़ाईयों का प्रत्यक्षदर्शी रहा है। इनमें पानीपत की लड़ाइयां, 1526 (जब मुग़ल बादशाह बाबर ने इब्राहीम लोदी को हराकर भारत में मुग़ल साम्राज्य की नींव डाली), 1556 (जब अफ़ग़ानी सेना मुग़ल शहंशाह अकबर की सेना से पराजित हुई) और 1761 (जब अहमदशाह अब्दाली ने मराठा सेना को निर्णायक शिकस्त देकर भारत में ब्रिटिश हुकूमत का रास्ता साफ़ कर दिया), 1739 में करनाल की लड़ाई (जब फ़ारस के नादिरशाह ने ध्वस्त होते मुग़ल साम्राज्य को ज़ोरदार शिकस्त दी) शामिल हैं, वर्तमान हरियाणा राज्य में आने वाला क्षेत्र 1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया गया था। 1832 में यह तत्कालीन पश्चिमोत्तर प्रांत को हस्तांतरित कर दिया गया और 1858 में यह क्षेत्र पंजाब का हिस्सा बन गया। 1947 में भारत के विभाजन के बाद तक इसकी यही स्थिती बनी रही, हालांकि अलग हरियाणा राज्य की मांग 1907 में भारत की आज़ादी के काफ़ी पहले से ही उठने लगी थी। राष्ट्रीय आंदोलन के प्रमुख नेता लाला लाजपत राय और आसफ़ अली ने पृथक् हरियाणा राज्य का समर्थन किया था। स्वतंत्रता के पूर्व एवं बाद में पंजाब का एक हिस्सा होने के बावजूद इसे विशिष्ट सांस्कृतिक और भाषाई इकाई माना जाता था, हालांकि सामाजिक-आर्थिक रूप से यह पिछड़ा क्षेत्र था। वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्रीराम शर्मा की अध्यक्षता में बनी हरियाणा विकास समिति ने एक स्वायत्त राज्य की अवधारणा पर ध्यान केंद्रित किया था। 1960 के दशक की शुरुआत में उत्तरी पंजाब के पंजाबी भाषा सिक्खों और दक्षिण में हरियाणा क्षेत्र के हिन्दीभाषी हिंदुओं द्वारा भाषाई आधार पर राज्यों की स्थापना की मांग ज़ोर पकड़ने लगी थी, लेकिन सिक्खों द्वारा पंजाबीभाषी राज्य की ज़ोरदार मांग के करण ही इस मुद्दे को बल मिला। 1966 में पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के पारित होने के साथ ही पंजाब के साथ-साथ हरियाणा भी भारत का एक पृथक् राज्य बन गया। सामाजिक और आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से छोटे से राज्यों के गठन का प्रयोग सफल साबित हुआ है, बशर्ते उन्हें सबल और योग्य नेतृत्व मिले, जैसा कि इन दो राज्यों ने सिद्ध किया है। जनसंख्या (2001) राज्य कुल 2,10,82,989; ग्रामीण 1,49,68,850; शहरी 61,14,139.
राज्य के नाम की उत्पत्ति
हरियाणा (हरियाणा) के नाम की उत्पत्ति के संबंध में विविध व्याख्याएं हैं | हरियाणा एक प्राचीन नाम है | पुरानी समय में इस क्षेत्र को ब्रह्मवर्त, आर्यवर्त और ब्रहमोप्देस के नाम से जाना जाता था | ये नाम हरियाणा की भूमि पर ब्रह्मा-देवता के उद्भव पर आधारित हैं अर्थात आर्यों का निवास और वैदिक संस्कृतियों और अन्य संस्कारों के उपदेशों का घर | प्रोफेसर एच. ए. फडके के अनुसार, “विभिन्न लोगों और जातियों के बीच मिलकर, समग्र भारतीय संस्कृति के निर्माण में हरियाणा का योगदान अपने तरीके से उल्लेखनीय रहा है| महत्वपूर्ण रूप से, इस क्षेत्र को सृजन के मैट्रिक्स और पृथ्वी पर स्वर्ग के रूप में सम्मानित किया गया है | इसके अन्य नाम बहुधान्याका और हरियंका खाद्य आपूर्ति और वनस्पति की बहुतायत का सुझाव देते हैं”| रोहतक जिले के बोहर गांव से मिले शिलालेख केअनुसार, इस क्षेत्र को हरियंक के नाम से जाना जाता था | 1337 विक्रम संवत के दौरान बलबन की अवधि से शिलालेख संबंधित है | बाद में, सुल्तान मोहम्मद-बिन-तुगलक के शासनकाल में पाए गए पत्थर पर ‘हरियाणा’ शब्द अंकित किया गया था | धरणिधर अपने कार्य अखण्ड प्रकाश में कहते हैं कि “यह शब्द हरिबंका से आता है और हरि की पूजा व भगवान इंद्र से जुड़ा हुआ है | चूंकि सूखा भूभाग है, इसके लोग हमेशा इंद्र (हरि) की बारिश के लिए पूजा करते हैं “। एक अन्य विचारक, गिरीश चंदर अवस्थी, ऋग्वेद से इसकी उत्पत्ति का सुराग लगाते हैं कि जहां हरियाणा नाम को योग्यता के लिए राजा(वासुराजा) विशेषण के रूप में प्रयोग किया जाता है । उन्होंने कहा कि राजा ने इस क्षेत्र पर शासन किया और इस तरह से इस क्षेत्र को उसके बाद हरियाणा के नाम से जाना जाने लगा।
वैदिक काल
सिंधु घाटी जितनी पुरानी कई सभ्यताओं के अवशेष सरस्वती नदी के किनारे पाए गए हैं। जिनमे नौरंगाबाद और मिट्टाथल भिवानी में, कुणाल फतेहाबाद मे, अग्रोहा और राखीगढी़ हिसार में, रूखी रोहतक में और बनवाली सिरसा जिले में प्रमुख है। प्राचीन वैदिक सभ्यता भी सरस्वती नदी के तट के आस पास फली फूली। ऋग्वेद के मंत्रों की रचना भी यहीं हुई है।
कुछ प्राचीन हिंदू ग्रंथों के अनुसार, कुरुक्षेत्र की सीमायें, मोटे तौर पर हरियाणा राज्य की सीमायें हैं। तैत्रीय अरण्यक ५.१.१ के अनुसार, कुरुक्षेत्र क्षेत्र, तुर्घना (श्रुघना / सुघ सरहिन्द, पंजाब में) के दक्षिण में, खांडव (दिल्ली और मेवात क्षेत्र) के उत्तर में, मारू (रेगिस्तान) के पूर्व में और पारिन के पश्चिम में है।[1] भारत के महाकाव्य महाभारतमे हरियाणा का उल्लेख बहुधान्यकऔर बहुधनके रूप में किया गया है। महाभारत में वर्णित हरियाणा के कुछ स्थान आज के आधुनिक शहरों जैसे, प्रिथुदक (पेहोवा), तिलप्रस्थ (तिल्पुट), पानप्रस्थ (पानीपत) और सोनप्रस्थ (सोनीपत) में विकसित हो गये हैं। गुड़गाँव का अर्थ गुरु के ग्राम यानि गुरु द्रोणाचार्य के गाँव से है। कौरवों और पांडवों के बीच हुआ महाभारत का प्रसिद्ध युद्ध कुरुक्षेत्र नगर के निकट हुआ था। कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश यहीं पर दिया था। इसके बाद अठारह दिन तक हस्तिनापुर के सिंहासन का अधिकारी तय करने के लिये कुरुक्षेत्र के मैदानी इलाकों में पूरे भारत से आयी सेनाओं के मध्य भीषण संघर्ष हुआ। जनश्रुति के अनुसार महाराजा अग्रसेन् ने अग्रोहा जो आज के हिसार के निकट स्थित है, में एक व्यापारियों के समृद्ध नगर की स्थापना की थी। किवंदती है कि जो भी व्यक्ति यहाँ बसना चाहता था उसे एक ईंट और रुपया शहर के सभी एक लाख नागरिकों द्वारा दिया जाता था, इससे उस व्यक्ति के पास घर बनाने के लिये पर्याप्त ईंटें और व्यापार शुरू करने के लिए पर्याप्त धन होता था।
मध्यकाल
हूण के शासन के पश्चात हर्षवर्धन द्वारा ७वीं शताब्दी में स्थापित राज्य की राजधानी कुरुक्षेत्र के पास थानेसर में बसायी। उसकी मौत के बाद प्रतिहार ने वहां शासन करना आरंभ कर दिया और अपनी राजधानी कन्नौज बना ली। यह स्थान दिल्ली के शासक के लिये महत्वपूर्ण था। पृथ्वीराज चौहान ने १२वीं शताब्दी में अपना किला हाँसी और तरावड़ी (पुराना नाम तराईन) में स्थापित कर लिया।मुहम्मद गौरी ने दुसरी तराईन युध में इस पर कब्जा कर लिया। उसके पश्चात दिल्ली सल्तनत ने कई सदी तक यहाँ शासन किया।
विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा दिल्ली पर अधिकार के लिए अधिकतर युद्ध हरियाणा की धरती पर ही लड़े गए। तरावड़ी के युद्ध के अतिरिक्त पानीपत के मैदान में भी तीन युद्ध एसे लड़े गए जिन्होंने भारत के इतिहास की दिशा ही बदल दी।
ब्रिटिश राज
ब्रिटिश राज से मुक्ति पाने के आन्दोलनों में हरियाणा वासियों ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। रेवाड़ी के राजा राव तुला राम का नाम १८५७ के संग्राम में योगदान दिया।
हरियाणा का गठन
हरियाणा प्रान्त का गठन १ नम्वबर १९६६ को पंजाब से अलग हो कर हुआ।
18 सितम्बर 1966 को सीमा आयोग की सिफारिशों के अनुसार भारत सरकार ने 'पंजाब पुनर्गठन विधेयक, 1966 (न. -31 ) पारित किया।
18 सितम्बर 1966 को भारत के राष्ट्रपति से हस्ताक्षरित होकर यह गजट ऑफ़ इंडिया भाग -2 सै
1 न.
31 दिनांक 18 सितम्बर
1966 को प्रकाशित हुआ।
'पंजाब पुनर्गठन विधेयक, 1966' के भाग 2, अनुच्छेद -3 में हरियाणा की सीमाओं आदि की व्याख्या की गयी थी। यह व्याख्या कुछ इस प्रकार थी -
1. निश्चित दिन से एक नए राज्य का निर्माण होगा जो कि 'हरियाणा' कहलायेगा , जिसमे पंजाब राज्य के निम्न क्षेत्र शामिल होंगे -
-हिसार, रोहतक, गुरुग्राम (गुडगाँव), करनाल, महेंद्रगढ़ के जिल
-संगरूर जिले की नरवाना और जींद तहसीलें
- अम्बाला जिले की अम्बाला, जगाधरी और नारायणगढ़ तहसीलें
- अम्बाला जिले की खरड़ तहसील की पिंजौर कानूगो सरकल
- अम्बाला ज़िले की खरड़ तहसील के मनीमाजरा के कानूगो सरकल का क्षेत्र जो प्रथम परिच्छेद में अनुसूचित है।
इसके बाद ये क्षेत्र पंजाब राज्य के अंग नहीं रहेंगें।
2. उप -अनुच्छेद (आ) में वर्णित क्षेत्र से हरियाणा राज्य के अंतरगत जींद नाम का अहलदा जिला बनेगा।
3. उप - अनुच्छेद (1) की धारा (आ), (इ), और (ई ) में वर्णित क्षेत्र हरियाणा राज्य के अंतरगत अम्बाला नाम का अहलदा जिला बनेगा।
(अ) उप - अनुच्छेद (1) की धारा (इ) और (ई) में वर्णित क्षेत्र नारायणगढ़ तहसील के भाग होंगे।
(आ) उप - अनुच्छेद (1) की धारा (3) में वर्णित क्षेत्र नारायणगढ़ तहसील के अंतर्गत पिंजौर के कानूगो सरकल का भाग होगा।
विधेयक के भाग - 3 में विधानपालिकाओं के विषय में बताया गया था।
विधेयक के भाग - 3 के प्रमुख अनुच्छेद -
A. अनुच्छेद 7 में राज्यसभा में मौजूदा 11 सदस्यों बाँट और अनुच्छेद 8 में उनके चुनाव आदि का तरीका सुझाया गया था।
B. अनुच्छेद 9 में लोकसभा के सदस्यों की स्थिति के विषय में बतलाया गया था।
C. अनुच्छेद 10 में राज्य के मौजूदा विधानसभा सदस्यों को बांटा गया था जिसमें से 54 सदस्य जो हरियाणा क्षेत्र से चुनकर गए थे, वे वे हरियाणा के हिस्से में रखे गए नई सभा का नाम "हरियाणा विधानसभा होगा,ऐसा उल्लेख किया गया था।
D. अनुच्छेद 14 (2) में हरियाणा के सदस्यों द्वारा अपनी इस विधानसभा का अपने से, सविंधान में बताये गए तरीके से, एक अध्यक्ष चुनने की व्यवस्था की गयी थी।
E. यह भी कहा गया था की मौजूदा विधानसभा के बाद यहाँ 'अनुच्छेद - 16' के अनुसार सदस्यों की संख्या 81 होगी।
विधेयक के भाग - 4 में उच्च न्यायालय के विषय में व्याख्या थी इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण अनुच्छेद - 21 था जिसमें कहा गया था कि 'पंजाब और हरियाणा की साझी उच्च न्यायालय होगी।'
'पंजाब पुनर्गठन विधेयक, 1966' के अनुसार 1 नवंबर, 1966 को 'हरियाणा' राज्य के रूप में एक नये राज्य का उदय हुआ।
इस प्रकार से पंजाब राज्य दो हिस्सों में बंट गया और एक नये राज्य जिसका नाम पड़ा 'हरियाणा' ने जन्म लिया।
सूचना प्रौद्योगिकी
दुनिया भर में चल रही वैश्वीकरण की प्रक्रिया में सूचना प्रौद्योगिकी के महत्व को देखते हुए हरियाणा सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी की नई व्यापक नीति तैयार की है ताकि राज्य नई सदी में विकास की ओर अग्रसर हो। इसके अंतर्गत सूचना प्रौद्योगिकी, आई.टी. ई.एस./बी.पी.ओ. उद्योग को प्रोत्साहन देने का प्रावधान है। सरकार ने हाल ही में टेक्नोलॉजी पार्को के लिए भी एक नीति घोषित की है। इस नीति का उदृदेश्य सूचना प्रौद्योगिकी को नैनो प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, मोबाइल कंप्यूटिंग और रोबोटिक्स से जोड़ना है। राज्य सरकार टेक्नोलॉजी पार्क, साइबर सिटी तथा आईटी कॉरीडोर की स्थापना के लिए लाइसेंस जारी कर रही है।
उद्योग
हरियाणा का औद्योगिकी आधार विशाल है । हरियाणा में हर चीज का उत्पादन होता है। हरियाणा कारों, ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों, साइकिलों, रेफ्रिजरेटरों, वैज्ञानिक उपकरणों आदि का सबसे बड़ा उत्पादक है।
हरियाणा विश्व बाजार में बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। पचरंगा अचार के अलावा पानीपत की हथकरघे की बनी वस्तुएं और कालीन विश्व भर में प्रसिद्ध हैं।
सिंचाई
सरकार ने घग्घर और इसकी सहायक नदियों पर चार कम ऊंचाई के बांध - कौशल्या बांध , दंग्राना बांध, दीवानवाला बांध और छामला बांध - परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की है|
बिजली
हरियाणा देश का ऐसा पहला राज्य है जहां 1970 में सभी गांवों में बिजली दी गई थी।
परिवहन
·
सड़कें: सड़कें हरियाणा में सभी गांव पक्की सड़कों से जुड़े हैं। राज्य में सड़कों की कुल लंबाई 35,303 किलोमीटर है।
·
रेलवे: कालका, अंबाला, कुरूक्षेत्र, रोहतक, जींद, हिसार, अंबाला, पानीपत और जखाल यहां के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से है। जगाधारी शहर में रेलवे की एक वर्कशॉप है।
·
उड्डयन: हरियाणा में असैनिक हवाई अड्डे-हिसार, करनाल, पिंजौर, नारनौल और भिवानी में हैं।
पर्यटन स्थल
पर्यटन स्थल हरियाणा में 44 पर्यटक परिसर हैं। प्रमुख पर्यटन केंद्रों मं ब्लू जे (समालखा), स्काईलार्क (पानीपत), चक्रवर्ती झील और ओएसिस (उचाना), पराकीट (पीप्ली), किंगफिशर (अंबाला), मैगपाई (फरीदाबाद), दबचिक (होडल), जंगल बबलर (धारूहेड़ा), रेड विशप (पंचकुला) और बड़खल झील, सुल्तानपुर पक्षी विहार (सुल्तानुपर, गुड़गांव), दमदमा (गुड़गांव) और चीड़ वन के लिए प्रसिद्ध मोरनी हिल्स पर्यटकों के रूचि के कुछ अन्य केंद्र है। सूरजकुंड का विश्वप्रसिद्ध शिल्प मेला हर वर्ष फरवरी में आयोजित किया जाता है। इसी तरह पिंजौर की प्राचीन विरासत को बढ़ावा देने के लिए पिंजौर विरासत उत्सव प्रतिवर्ष बनाया जाता है।
हरियाणा के जिले
हरियाणा में २१ ज़िले है, २०११ की जन गणना के अनुसार फरीदाबाद की जनसँख्या सर्वाधिक है, क्षेत्रफल सिरसा जिले का सर्वाधिक है और साक्षरता रेवाड़ी ज़िले की सर्वाधिक है।
हरियाणा का एक राज्य के रूप में गठन १ नवंबर १९६६ में हुआ था, उस समय राज्य में सिर्फ ७ जिले थे जिनके नाम रोहतक, जींद, हिसार, महेंद्रगढ़, गुडगाँव, करनाल और अम्बाला थे, इन्ही जिलों प्रशासनिक दृस्टि से ज्यादा सक्षम बनाने के लिए कई अन्य जिलों में बाँट दिया गया था, और इस प्रकार २०१८ तक २२ जिले बन गए, सबसे नया जिला दादरी जिला है और वर्तमान समय में गुजरात में गांव की संख्या 70007 है।
हरियाणा का 22व जिला
सितम्बर 2016 मे जब प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर दादरी विकास रैली में गयी तो उन्होंने प्रदेश के सबसे बड़े उपमंडल चरखी दादरी को जिला घोषित कर दिया, और इस तरह से अब हरियाण मे जिलो की संख्या २१ से 22 हो गयी है.
हरियाणा में कितने जिले है
हरियाणा में अब कुल 22 जिले है, सबसे पुराण जिला अम्बाला है और सबसे नया जिला दादरी है जो २०१६ के बना है, जनसँख्या में सबसे बड़ा जिला फरीदाबाद है और क्षेत्रफल में भिवंडी है, और क्षेत्रफल में सबसे छोटा जिला पंचकूला है और जनसँख्या में भी पंचकुला जिला ही है.
हरयाणा में कितने जिले नए बने है
हरयाणा में एकदम नया जिला सितम्बर २०१६ में बना है जिसका नाम दादरी है, मेवात २००५ में बना, और पलवल २००८ में बना, इस प्रकार सन २००० के बाद सिर्फ ३ नए जिले बने है हरयाणा में।
हरियाणा के पड़ोसी राज्य एवं जिले
हरियाणा भारत के राज्यों में उत्तरी मध्य भाग में स्थित एक राज्य है, जिसकी सीमाएं भारत के ही आंतिरक राज्यों से मिलती है, जैसे हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश पंजाब और राजस्थान।
हरियाणा की सीमाओं को स्पर्श करने वाले राज्यों के जिले इस प्रकार से है, जैसे उत्तर पूर्व में हिमाचल प्रदेश के जिले, पूर्व में उत्तर प्रदेश के जिले, दक्षिण में दिल्ली के जिले, पश्चिम में राजस्थान के जिले, उत्तर पश्चिम में पंजाब के जिले है।
हरियाणा के जिलों के नाम की सूची
क्र.सं. |
जिला का नाम |
1 |
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2 |
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3 |
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4 |
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5 |
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6 |
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7 |
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8 |
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9 |
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10 |
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11 |
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12 |
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13 |
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14 |
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15 |
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16 |
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17 |
|
18 |
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19 |
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20 |
|
21 |
|
22 |
सर्वाधिक साक्षरता वाले हरियाणा के जिले
क्र.सं.
|
जिला का नाम |
साक्षरता |
1 |
84.7 |
|
2 |
81.88 |
|
3 |
81.75 |
|
4 |
81.7 |
|
5 |
80.99 |
|
6 |
80.65 |
|
7 |
80.22 |
सर्वाधिक जनसँख्या वाले हरियाणा के जिलों के नाम
क्र.सं. |
जिला का नाम |
जनसंख्या (2011) |
1 |
1809733 |
|
2 |
1743931 |
|
3 |
1634445 |
|
4 |
1514432 |
|
5 |
1505324 |
|
7 |
1334152 |
|
8 |
1295189 |
|
9 |
1214205 |
|
10 |
1205437 |
|
11 |
1128350 |
|
12 |
1074304 |
|
13 |
1061204 |
|
14 |
1042708 |
सर्वाधिक लिंगानुपात वाले हरियाणा में कितने जिले है
क्र.सं. |
जिला का नाम |
लिंग अनुपात |
1 |
|
902 |
सबसे ज्यादा भूमि क्षेत्रफल वाले हरियाणा के जिलों के नाम
क्र.सं. |
जिला का नाम |
क्षेत्र (वर्ग किमी) |
1 |
5140 |
|
2 |
4276 |
|
3 |
3788 |
सबसे अधिक विकास दर वाले हरियाणा के जिले
1 |
73.96% |
|
2 |
32.54% |
|
3 |
25.76% |
|
4 |
24.60% |
क्र.सं. |
जिला का नाम |
घनत्व (/ वर्ग किमी)
|
1 |
2298 |
|
2 |
1241 |